Friday, December 27, 2013

Nagma - E - Rooh: Rekha Surya (+प्लेलिस्ट)


13-09-2013 पर प्रकाशित
Rekha Surya
One of the few practitioners of the Lucknow Gharana of North Indian classical music, Rekha Surya has preserved the legacy of her legendary guru Begum Akhtar by propagating this art at prestigious concert and lecture venues in India and abroad. She has also honed her skills under the tutelage of another legend, Girija Devi of the Benaras Gharana, integrating both styles of singing into an individualistic style.

The infusion of spirituality into an essentially romantic genre is a unique part of her repertoire. The ancient literary traditions she draws from have both South Asian Muslim and Hindu cultural references. Before singing, by lucidly explaining her mystical songs and other poetry of her genre, she demystifies Hindustani Light Classical Music for uninitiated audiences.

A Doordarshan presentation...

Tuesday, September 10, 2013

Night Kiirtan - Baba Nam Kevalam - Mahamantra sidhamantra

Baba Nam Kevalam - Women rights Kirtan


Published on Jan 31, 2013
This is a kiirtan given by the Marga Guru, Shrii shrii Ananda Murti, Baba Nam Kevalam - This means, only the name of the nearest and dearest person to your heart. TYPES OF DEVOTEES; Spiritual discourse Spirituality "Spiritual (music)" Yoga Meditation Guru India MantraAnandaMurti Krsna PR Sarkar Shiva Baba bubu Neohumanism spirituality Microvita economics Prout kaoshiki Kiirtana Tandava nam Kevalam prabhat samgiita Ananda Nagar Types of devotees AMURT Marga; Shrii Anandamurtiji talks about different types Prabhat sangeet Aye Ho Tum. DEVOTIONAL MUSIC; SPIRITUAL MUSIC; parvati, kaoshikii; radha.

Friday, August 9, 2013

तीज: लुधियाना की छात्रायों ने जगाया संगीत का जादू

मास्टर तारा सिंह मेमोरियल कालेज में हुआ रंगारंग कार्यक्रम
लुधियाना: 8 अगस्त; 2013: (रेक्टर कथूरिया/पंजाब स्क्रीन): तीज का त्योहार इस बार भी हर तरफ हर्षो उल्लास और धूमधाम से मनाया गया इस सम्बन्ध में एक शानदार कार्यक्रम लुधियाना के मास्टर तार सिंह मेमोरियल कालेज में भी हुआ हर बार की तरह इस बार भी कॉलेज में सजी-धजी मुटियारें हर तरफ मस्ती, डांस और पंजाबी गानों की धूम से  पूरे माहौल को संगीत और डांस के जादू से यादगारी बना रहीं थीं। कार्यक्रम के दौरान कुछ अलग सा ही नजारा था मास्टर तारा सिंह मेमोरियल कॉलेज फॉर वुमन का। गौरतलब है कि इस बार कालेज में तीज कार्यक्रम के साथ-साथ फ्रेशर पार्टी का भी आयोजन किया गया। आसमान में आँख मिचोली खलते बादल, सावन की फुहारें, सजी-संवरी, झूला-झूलतीं पंजाबी पहरावे में मोहक लगती मुटियारें तो कहीं मेंहदी रचाती लड़कियां हरव तरफ एक अलग सा रंग था। कहीं रंग-बिंरगी चूडिय़ों की खनखनाहट सुने दे रही थी तो कहीं मुटियारों के सिर पर सजी संतरंगी चुन्नियां और सगी-फूल टीका कोका भूले बी इसरे पंजाब के याद ताज़ा करा रहे थे। वातवरण में गूंजती पंजाबी लोक धुनें और गिद्दे की धमक ने मंच पर एक बार तो वही पंजाब रच दिया था जो अब तेज़ी से लुप्त होता जा रहा है।
        हर तरफ रंग था, जोश था, उत्साह था और आधुनिकता के साथ साथ अपनी परम्परा को अपने साथ बनाये र्ख्न्र का दृढ़ संकल्प भी था पंजाब की परम्परा को दिखाती पंजाबी ड्रेस और आधुनिक जमाने के साथ कदम मिलाने का जोश दिखाती वेस्टर्न ड्रेस में सजी लड़कियां अपनी परफार्मेंस देने का इंतजार कर रही थीं। 
अपने टीवी के अतीत को एक बार फिर ज्वलंत करती तेजिन्द्र कौर और उसकी टीम की सदस्याएं अपने मनमोहक बोलों और खनखनाती सुरीली आवाज़ के साथ दर्शकों को शुरू से लेकर अंत तक बांधे रखने में कामयाब रहीं दर्शक और श्रोता मन्त्र मुग्ध हुए नजर आ रहे थे जैसे उन पर किसी ने जादू कर दिया हो। संगीत का जादू, मस्ती का जादू, कुछ बन दिखाने का जोश, कुछ कर दिखाने का संकल्प---तीज के बहाने से इन छात्रायों में छुपी कला और आगे बढने की ललक पंख लगा कर बाहर आ रही थी। सुनिश्चित है की अगर यह कार्यक्रम न हुआ होता तो उह कला अंतर मन के किसी कोने में लगातार छुपी की छुपी ही रह जाती
         इस मौके पर कॉलेज प्रबंधक कमेटी के प्रधान स्वर्ण सिंह तथाप्रबंधक कमेटी के ठेकेदार कंवलइंद्र भी मौजूद रहे।  कॉलेज प्रिंसीपल प्रवीण कौर चावला ने जहाँ तीज के महत्व की चर्चा की वहीँ नई छात्रयों को सुस्वागतम भी कहा मिस तीज और मिस फ्रेशर प्रतियोगिता भी करवाई गई। जिसमें तियां दी रानी अर्शदीप कौर, कुड़ी पंजाबण हरमनदीप कौर बनीं तथा कुड़ी मजाजण का ताज नवदीप कौर के सिर सजा। नए आए स्टूडेंट्स के लिए मिस फ्रेशर ऐश्वर्या बनी, फस्र्ट रनरअप शिफाली और सेकेंड रनरअप हरप्रीत कौर बनीं। सभी विजेताओं को प्रधान स्वर्ण सिंह, कंवलइंद्र सिंह ठेकेदार और प्रिंसीपल प्रवीण कौर चावला ने सम्मानित किया।

लुधियाना: हर्षो-उल्लास से मनाया गया तीज का त्यौहार 

लुधियाना के कालेज में रही तीज की धूम 

लुधियाना में भी जगा तीज का जादू 

तीज: लुधियाना की छात्रायों ने जगाया संगीत का जादू 

Sunday, July 28, 2013

तुम न जाने किस जहाँ में खो गये

हम भरी दुनिया में तन्हा हो गये !

Uploaded on Mar 1, 2009
Movie: Sazaa (1951)
Producer: G P Sippy
Director: Fali Mistry
Cast: Dev Anand, Nimmi, K N Singh, Shayma, Mukri, Lalita Pawar.
Lyrics: Sahir Ludhianvi
Music: S D Burman
Singer: Lata Mangeshkar
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सन 1951 में आई थी हिंदी फिल्म सज़ा---निर्माता थे जी पी सिप्पी और निर्देशक थे--फाली मिस्त्री-----देव आनन्द, निम्मी, के एन सिंह, श्यामा, मुकरी और ललिता पवार जैसी जानीमानी स्टार कास्ट पर आधारित इस फिल्म के गीतकार थे हमारे लुधियाना के लोक प्रिय शायर साहिर लुधियानवी----बेहद सादगी से गहरी बातें कहने के फन में माहिर माने जाते थे---गीत के बोल इस गीत में भी जादू से भरे थे----और जब इन्हें मिला सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर की आवाज़ का साथ तो यह गीत भी कालजयी हो गया----इतने बरसों के बाद भी वही ताज़गी----वही कशिश---वही जादू:
तुम न जाने किस जहाँ में खो गये
हम भरी दुनिया में तनहा हो गये
तुम न जाने किस जहाँ में ...

एक जां और  लाख ग़म, घुट के रह जाये न दम
आओ तुम को देख लें, डूबती नज़रों से हम
लूट कर मेरा जहाँ छुप गये हो तुम कहाँ \- २
तुम कहाँ, तुम कहाँ, तुम कहाँ
तुम न जाने किस जहाँ में ...

मौत भी आती नहीं, रात भी जाती नहीं
दिल को ये क्या हो गया, कोई शह भाती नहीं
लूट कर मेरा जहाँ छुप गये हो तुम कहाँ \- २
तुम कहाँ, तुम कहाँ, तुम कहाँ
तुम न जाने किस जहाँ में ...


Monday, July 1, 2013

२७वाँ ग्रीष्म कालीन संगीत नाट्य शिविर

Mon, Jul 1, 2013 at 1:18 PM
डेढ माह के प्रशिक्षण मे ७५ प्रतिभागियॊं ने भाग लिया
नॄत्य संगीत प्रशिक्शण केन्द्र सिकन्दरा,आगरा २८२००७ तत्वाधान मे आयोजित २७वाँ ग्रीष्म कालीन संगीत नाट्य शिविर २०१३ का समापन कार्यक्रम एवं पुरुस्कार वितरण समारोह दिनांक ३०जून २०१३ अपरान्ह ३बजे "मानस भवन"नागरी प्रचारिणी सभागार (आगरा कालेज के सामने) एम०जी०रोड,आगरा पर समपन्न हुआ!
डा० कुसुम चतुर्वेदी संचालिका के कर कमलों द्वारा माँ सरस्वती को माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर हुआ ! डेढ माह के प्रशिक्षण मे ७५ प्रतिभागियॊं ने भाग लिया ,जिसमे शास्त्रीय गायन ,ढोलक , तबला, पेंन्टिग,नॄत्य का प्रशिक्छण दिया गया ! कौशिकी कौशिक वं सृष्टि गुप्ता ने सरस्वती वन्दना से कार्य्क्रम का प्रारंभ किया, बॄज लोक नॄत्य श्वेता भदौरिया,देवेन्द्र कौर, काकुल,एवं मीणा ने, कुमायूं नृत्य इतिशा,आर्ची गुप्ता ने,हर्षित पाठक और कपिल चन्देल ने मल्हार गायन राग काफ़ी मे, राग भीम पलासी श्रीमती अंकिता श्रीवास्तव ने,शिल्पी चतुर्वेदी ने "ओढ ली मैने चुनरिया "तथा तराना पर नॄत्य प्रस्तुत किया रितु अग्रवाल,रितिका श्रीवास्तव ने !कार्यक्रम का समापन गणेश वन्दना "गणपति बप्पा मोरियो"कपिल चन्देल, वाणी,स्रुष्टि,कंचन की प्रस्तुति के साथ हुआ! पुरस्कार वितरण डा०महेश भार्गव संचालक विभोर पब्लीकेशन आगरा के सौजन्य से हुआ मंच सज्जा- निर्मन्यु कस्तूरिया, व्यवस्था- श्री विपुल चतुर्वेदी ,संचालन कवि-साहित्य्कार श्री बोधिसत्व कस्तूरिया ,एड्वोकेट ने किया ! धन्यवाद एवं विद्द्यालय की वार्षिक आख्या, प्राचार्या श्रीमती मीरा कस्तूरिया ने प्रस्तुत की !   हास्य कवि हरेश चतुर्वेदी, संजय चतुर्वेदी, उमाशंकर मिश्र संस्कार भारती की उपस्थित उल्लेखनीय रही !

Friday, June 28, 2013

Adha hai chandrama raat aadhi

Uploaded on Nov 17, 2009
Song-Aadha hai chandrma raat aadhi
Movie - Navrang (1958)
Singer- Asha Bhonsle,Mahendra Kapoor
Lyricist - Bharat Vyas,
Music Director - C Ramchandra
Cast - Sandhya,Manipal ,Keshav Rao Datey, Vastala Deshmukh,Aaga ,Vandana,Ulhas
Producer/Director - V. Shantaram ( Rajaram Vankudre Shantaram )
V. Shantaram, renowned Indian film producer, filmmaker, and actor, most known for his films like Dr. Kotnis Ki Amar Kahani (1946), Amar Bhoopali (1951), Jhanak Jhanak Payal Baje (1955), Do Aankhen Barah Haath (1957) and Navrang (1959), to the path breaking Duniya Na Mane (1937) and Pinjara (1973).

He directed his first film, "Netaji Palkar" in 1927, and in 1929, founded the Prabhat Film Company along with V.G. Damle, K.R. Dhaiber, S. Fatelal and S.B. Kulkarni [2], which he left in 1942 and to form "Rajkamal Kala Mandir" in Mumbai [3], in time 'Rajkamal' became one of most sophisticated studios of the country [4].

He was praised by Charlie Chaplin for his Marathi film MANOOS (English: Man). Charlie Chaplin reportedly liked the film very much.

He was awarded the Indian film industry's highest award, the Dadasaheb Phalke Award, in 1985 and the Padma Vibhushan in 1992.Genre -Musical romantic family Drama
Sandhya has performed some unbelievable tasks in the songs, in addition to singing.

LYRICS ;-
aadhaa hai chandrmaa raat aadhi
aadhaa hai chandrmaa raat aadhi
rah na jaaye teri meri baat aadhi, mulaaqaat aadhi
aadhaa hai chandrmaa raat aadhi
rah na jaaye teri meri baat aadhi, mulaaqaat aadhi
aadhaa hai chandrmaa

piyaa aadhi hai pyaar ki bhaashhaa
aadhi rahne do man ki abhilaashhaa
piyaa aadhi hai pyaar ki bhaashhaa
aadhi rahne do man ki abhilaashhaa
aadhe chhalke nayan aadhe dhalke nayan
aadhi palkon ki bhi hai barsaat aadhi
rah na jaaye teri meri baat aadhi, mulaaqaat aadhi
aadhaa hai chandrmaa

aas kab tak rahegi adhoori
pyaas hogi nahin kyaa ye poori
aas kab tak rahegi adhoori
pyaas hogi nahin kyaa ye poori
pyaasaa-pyaasaa pawan pyaasaa-pyaasaa chaman
pyaase taaron ki bhi hai baaraat aadhi
aadhaa hai chandrmaa raat aadhi
rah na jaaye teri meri baat aadhi, mulaaqaat aadhi
aadhaa hai chandrmaa

sur aadhaa hai shyaam ne saadhaa
rahaa raadhaa kaa pyaar bhi aadhaa
sur aadhaa hai shyaam ne saadhaa
rahaa raadhaa kaa pyaar bhi aadhaa
nain aadhe khile honth aadhe hile
rahi pal mein milan ki wo baat aadhi
aadhaa hai chandrmaa raat aadhi
rah na jaaye teri meri baat aadhi, mulaaqaat aadhi
aadhaa hai chandrmaa...

Friday, April 19, 2013

इस बार फिर छिडेंगी पीरखाना मेले में सूफी संगीत की सुरें

काअबे वाली गली विच्च यार दा मकान ए...
दुनिया में बहुत ही कम लोग होते हैं जिन्हें इस बात का ख्याल आता है कि हम कौन हैं कहाँ से आये हैं----हजारों में कोई एक व्यक्ति---फिर इस तरह के लोग सोचते हैं और दुनिया के प्रभाव में, माया की माया के प्रभाव में फिर भूल जाते हैं----याद रखता है कोई हजारों में से एक----याद रखने वालों में से भी कोई एक होता है जो इस राह पर सच में कदम आगे बढाता अन्यथा लोग फिर से भूल जाते हैं---खो जाते हैं दुनिया के सपनों की रंगीनी में-----फिर उन हजारों में से भी कोई एक होता है जो इस राह पर मुश्किलें आने के बाद इस यात्रा को जारी रख पाता है---कोई कोई एक होता है जो दुनिया की ज़िम्मेदारी--परिवार की ज़िम्मेदारी---को पूरा भी करता है और इस राह पर आगे भी बढ़ता है----एक तरफ दुनिया की जिम्मेदारियां---दूसरी तरफ खुदा की तलाश,...खुदा की आवाज़----और दिल से दर्द की हुक निकलती है----काअबे वाली गली विच्च यार दा मकान ए...खुदा भी मेहरबान बना रहे और यार भी नाराज़ न हो----बीच का यह मस्ती भरा रास्ता आखिर कौन बताये----जल में रहना और कमल के फूल की तरफ जल से बचे भी रहना---कौन दिखाए मार्ग---इस तरह की बहुत सी बातें इस बार भी होंगीं---लेकिन संगीत के साथ----सुरों के साथ---मस्ती के साथ----इन सुरों को छेड़ेंगे---गुरदास मान---हमसर हयात निजामी, अनीस साबरी, शकील साबरी, टोनी सुल्तान, ललित गोयल, राकेश राधे, अमित धर्म कोटि और सरदार अली---
उत्तर भारत के कोने कोने में पहुंचा पीरखाना लुधियाना मेले का संदेश
लुधियाना के न्यू अग्रवाल पीरखाना में शनिवार से शुरू हो रहे तीन दिवसीय मेले में शामिल होने के लिए लोगों का उत्साह लगातार बढ़ रहा है। इस दरबार के मुख्य सेवादार बंटी बाबा ने मीडिया को बताया 20 अप्रैल को निकलने वाली शोभा यात्रा पर हवाई जहाज़ के ज़रिये पुष्प वर्षा की जाएगी। हर गली बाज़ार में रथ यात्रा का स्वागत करने को लोग पूरी तरह तैयार हो कर इन्जार में बैठे हैं। इस सबंध में निमन्त्रण देने का सिलसिला शुक्रवार को भी जारी रहा। क्या छोटा क्या बढ़ा---बिना किसी भेदभाव के हर घर में निमन्त्रण का संदेश पहुँच चुका है। व्यापारियों, नेतायों, समाजिक प्रतिनिधियों…सभी ने इस मेले में बढ़ चढ़ कर शामिल होने की बात कही है। स्कूली छात्रों से लेकर कालेज के बड़े छात्रों तक, गरीब से लेकर अमीर तक, जन साधारण से लेकर नेतायों तक अब बस एक ही चर्चा है और वह है इस मेले में शामिल होने की। मेले के प्रबंधकों ने भी अत्यंत व्यस्त समय होने के बावजूद श्री राम लीला कमेटी दरेसी ग्राऊंड, महावीर सेवा संस्थान, एसीपी सतीश कुमार, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राजिंदर कुमार भण्डारी, अकाली दल के वृष्ट नेता हीरा सिंह गाबड़िया इत्यादि सभी ने अपने साथियों सहित पहुंचने का वादा किया है। निमन्त्रण देने के इस कठिन कार्य को पूरा करने में न्यू अग्रवाल पीरखाना दरबार की और से अशोक भारती, नरिंदर गुप्ता, रमन शर्मा, सुखविंदर सिंह, दिलीप थापर और एनी कई सेवादार दिन रात जुटे रहे।  
हर वर्ग की संगत ने की मेले में आने की पुष्टि


Thursday, February 21, 2013

तंजावुर वीणा

18-फरवरी-2013 19:54 IST
शीघ्र हासि‍ल होगा भौगोलि‍क संकेतन का दर्जाविशेष लेख/* डॉ. के परमेश्‍वरन
Courtesy Photo
दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन और सम्‍मानित संगीत वाद्य तंजावुर वीणा को भौगोलिक संकेतन का दर्जा देने के लिए चुना गया है। भौगोलिक संकेतन पंजीयक, चेन्‍नई, चिन्‍नराजा जी नायडू ने आज यह खुलासा किया कि तंजावुर वीणा को भौगोलिक संकेतन दर्जे के लिए आवेदन परीक्षण की प्रक्रिया में है तथा भौगोलिक संकेतन दर्जे के लिए पंजीयन के संबंध में सभी औपचारिकताएं मार्च 2013 तक पूरे हो जाने की संभावना है।

सामान्‍य रूप से वीणा को एक पूर्ण वाद्य यंत्र माना जाता है। इस एक वाद्य में चार वादन तारों और तीन तंरगित तारों के साथ शास्‍त्रीय संगीत के सभी आधारभूत अवयव- श्रुति और लय समाहित हैं। इस तरह की गुणवत्‍ता वाला कोई अन्‍य वाद्य नहीं है।

नोबल पुरस्‍कार विजेता सी.वी. रमन ने वीणा की अद्भुत संरचना वाले  वाद्य के रूप में व्‍याख्‍या की थी। इसके तार दोनों अंतिम सिरों पर तीखे कोण के रूप में नहीं बल्कि गोलाई में हैं। गिटार की तरह इसके तार एकदम गर्दन के सिरे तक नहीं जाते और इसीलिए बहुत तेज़ आवाज़ पैदा करने की संभावना ही इस वाद्य के साथ नहीं है। वाद्य के इस डिज़ाइन के कारण किसी अन्‍य वाद्य के मुकाबले तार के तनाव पर लागातार नियंत्रण बनाए रखना संभव हो पाता है। 

भौगोलिक संकेतन क्‍या है?
भौगोलिेक संकेतन का प्रयोग किसी कृषि, प्राकृतिक अथवा कृत्रिम उत्‍पाद के विशिष्‍ट क्षेत्र में आरंभ को पहचान देने के लिए किया जाता है। भौगोलिक संकेतन पंजीयन यह निश्चित करता है कि वस्‍तु विशेष में कुछ विशेष गुण्‍उसके विशेष भौगोलिक संकेत होते हैं।

भौगोलिक संकेतन ट्रेड मार्क से भिन्‍न्‍होता है। ट्रेड मार्क व्‍यपार के लिए प्रयोग होता है जो उत्‍पाद\सेवा विशेष को अन्‍य उत्‍पाद अथवा सेवा से अलग करता है जबकि भौगोलिक संकेतन किसी वस्‍तु की उस पहचान के लिए प्रयोग होता है जो उसे एक विशिष्‍ट भौगोलिक क्षेत्र में उत्‍पन्‍न्‍होने के कारण मिली है।

यद्यपि भौगोलिक संकेतन का पंजीयन अनिवार्य नहीं है, लेकिन अतिक्रमण से बचने के लिए यह एक बेहतर कानूनी सुरक्षा है। भौगोलिक संकेतन का पंजीयन सामान्‍य रूप से 10 वर्ष के लिए होता है। इस अवधि के बाद अगले 10 वर्ष तक के लिए फिर से पंजीयन कराया जा सकता है। यदि फिर से 10 वर्ष की अवधि के लिए पंजीयन नहीं कराया जाता है तो वस्‍तु विशेष का भौगोलिक संकेतन पंजीयन समाप्‍त हो जाता है।

तंजावुर वीणा के लिए भौगोलिक संकेतन पंजीयन के लिए आवेदन तंजावुर म्‍यूजि़कल इंस्‍ट्रूमेंट वर्कर्स कॉआपरेटिव कॉटेज इंडस्‍ट्रीयल सोसाइटी लिमिटेड ने किया जिसे तमिलनाडू राज्‍य विज्ञान एवं तकनीक कांउसिल द्वारा समर्थन दिया गया। आवेदन जून 2010 में किया गया।

तंजावुर वीणा की विशेषता
तंजावुर वीणा की शिल्‍पकला उन शिलपकारों के कारण अद्भुत है जो तंजावुर शहर के आसपास बसे हैं। यह शहर तमिलनाडू के दक्षिण-पूर्वी तट पर बसे सांस्‍कृतिक रूप से अद्वितीय और कृषि आधारित ग्रामीण जिले तंजावुर में स्थित है।

तंजावुर की वीणा एक विशेष सीमा तक पुराने हुए जैकवुड पेड़ की लकड़ी से बनाई जाती है। इस वीणा पर की गई शिल्‍पकारी और विशेष प्रकार से बनाए गए अनुनाद परिपथ (कुडम) के कारण भी तंजावुर वीणा अपने में अद्वितीय है।

तंजावुर वीणा क्‍या है?
तंजावुर वीणा की लंबाई चार फीट होती है। इस विशाल वाद्य की चौड़ी और मोटी गर्दन के अंत में ड्रैगन के सिर को तराशा जाता है। गर्दन के भीतर अनुनाद परिपथ (कुडम) बनाया जाता है। तंजावुर वीणा में 24 आरियां (मेट्टू ) फिट किए गए हैं ताकि इस पर सभी राग बजाए जा सकें। इन 24 धातू की आरियों को सख्‍त करने के लिए मधुमक्‍खी के छत्‍ते से बने मोम तथा चारकोल पाउडर के मिश्रण को लपेटा जाता है। दो प्रकार की तंजावुर वीणा होती है- एकांथ वीणा और सद वीणा। एकांथ वीणा को लकड़ी के एक ही टुकड़े से बनाया जाता है। ज‍बकि सद वीणा में जोड़ होते हैं। दोनों प्रकार की वीणा को बहुत खूबसूरती के साथ तराशा जाता है और उस पर रंग किया जाता है।

इतिहास
वीणा वैदिक काल में उल्लिखित तीन वैदिक वाद्य यंत्र (बांसूरी और मृदंग) में से एक माना गया है। कला की देवी सरस्‍वती को सदैव वीणा के साथ दर्शाया जाता है जो इस बात का प्रतीक है कि संगीत (वीणा का पर्याय) सभी कलाओं में सबसे श्रेष्‍ठ है।

नारद मुनि जिन्‍होंने संत त्‍यागराज को उनके प्रबंध संगीत शास्‍त्र के लिए आशीर्वाद दिया (संत त्‍यागराज ने नारद मुनि को गुरु का दर्जा दिया था) स्‍वयं वीणा वादन में विशेषज्ञ थे और वे महाथी नामक वीणा बजाते थे।
ऐसा विश्‍वास किया जाता है कि कालीदास के काव्‍य जीवन की शुरूआत सरस्‍वती के प्रमुख श्‍लोक ‘माणिक्‍य वीणम उपाललयंथिम’। उनकी नवरत्‍न माला के वीणा के पांच संदर्भ हैं-9 छंदों का एक संयोग।
     भारत सरकार के प्रकाशन प्रभाग से ‘भारत के संगीत वाद्ययंत्र’ शीर्षक से प्रकाशित (द्वारा एस श्री कृष्‍णस्‍वामी 1993) पुस्‍तक कहती है कि तंजावुर के शासक रघुनाथ नायक और उनके प्रधानमंत्री एवं संगीतज्ञ गोविन्‍द दीक्षित ने उस समय की वीणा- सरस्‍वती वीना-24 तानों के साथ परिष्‍कृत किया था, जिससे इस पर सारे राग बजाये जा सके। इसीलिए इसका नाम ‘तंजावुर वीना’ है और इसी दिन से रघुनाथ नायक को तंजावुर वीना का जनक माना जाता है।
     यह भी ध्‍यान दिया जाना चाहिए कि वीना के पहले संस्‍करण में इससे कम 22 परिवर्तनीय तान थे जिनको व्‍यवस्थित किया जा सकता था। तानों के इस समायोजन में ( प्रत्‍येक सप्‍तक के लिए 12) कर्नाटक संगीत पद्धति की प्रसिद्ध 72 मेलाक्रता रागों के विकास की राह प्रशसत की। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि कर्नाटक संगीत प्रद्घति तंजावुर वीणा तकनीक के आसपास विकसित हुई है।

तंजावुर वीणा कैसे बनी ?
तंजावुर वीणा के निर्माण में दर्द संवेदना, समय खर्च होता है और इसमें विशिष्‍ट शिल्‍पकारी संलग्‍न हैं। यह प्राय: जैकुड की लकडी से निर्मित होती है। इसको रंगों और लकडी के महीन काम से सजाया जाता है, जिसमें देवी-देवताओं की फूल और पत्तियों की तस्‍वीरें बनी होती हैं। यह तंजावुर वीना को देखने में अनुठा और मनमोहक बनाता है।

प्रसिद्ध वीना वादक
20 वीं सदी के कर्नाटक शैली के एक बहुत प्रसिद्ध कलाकार जो विशेष तौर पर बेहद मनमोहक तरीके से वीणा वादन के लिए जानी जाती है। उनकी पहचान वीणा के साथ इस तरह से एकाकार हो गयी है कि उन्‍हें वीणा धनाम्‍मल के नाम से जाना जाता है। पिछले साल डाक विभाग ने उन पर एक डाक टिकट भी जारी किया।
कराईकुडी बंधु– जिसमें से एक वीणा को लंब स्थिति में रखकर बजाते हैं- पिछले सालों में सुप्रसिद्ध वीणा वादक हुए हैं। ईमानी शंकर शास्‍त्री, दुरईस्‍वामी अयैंगर, बालाचंद्र, एमके कल्‍याण कृष्‍णा भंगवाथेर, के वेंकटरमण और केरल से एम उन्‍नीकृष्‍णन 20 वीं सदी के जाने माने वीणा वादक हुए हैं। वीणा वादन की कला को 21 वी सदी में भी कुछ विशेष कलाकारों द्वारा जिसमें राजकुमार रामवर्मा (‍त्रावणकौर शाही परिवार से), गायत्री, अन्‍नतपदनाभम, डॉ. जयश्री कुमारेश दूसरे अन्‍य भी शामिल रहे।

*लेखक पत्र सूचना कार्यालय, मदुरै में सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत हैं।

वि.कासोटिया/महेश राठी/रजनी/मलिक-43

Tuesday, February 19, 2013

Monday, February 4, 2013

गोवा में पहला रूसी–भारतीय संगीत महोत्सव

4.02.2013, 12:58
चार हज़ार लोगों ने भाग लिया
गोवा में पहला रूसी – भारतीय संगीत महोत्सव
                                                                                   Collage: the Voice of Russia
गोवा में पहले रूसी – भारतीय संगीत महोत्सव ‘ग्रेट लाइव मयूज़िक’ में प्रायः चार हज़ार लोगों ने भाग लिया| यह कंसर्ट यहां के एक सबसे पुराने क्लब कर्लीज़ के पास खुले मंच पर हुआ| किवदंती है कि बीटल्स और जिमी हेंड्रिक्स के पहले जैम-सेशन भी यहीं हुए थे| रूस के ‘ग्लेब समोइलोफ्फ़ एंड दि मैट्रिक्स, ‘माशा और भालू’, मोनोलीज़ा और बारतो जैसे ग्रुपों ने इस कंसर्ट में अपने फन का आनंद लुटाया| संगीतप्रेमियों के लिए एक सरप्राइज़ था रैप्पर नोयज़ एमसी का मंच पर उतरना, क्योंकि वह तो एक दर्शक के नाते ही यहां आया था| कंसर्ट के प्रायः अंत में जर्मनी के संगीतकार प्रेम जोशुआ भी मंच पर आए| इस जाज-रॉक समारोह के दर्शकों-श्रोताओं में शामिल थे रूस, इंग्लैंड, डेनमार्क, जर्मनी, इटली, यूक्रेन और कजाखस्तान के सैलानी| (रेडियो रूस से साभार)

गोवा में पहला रूसी–भारतीय संगीत महोत्सव